Wednesday, 3 November 2021

ख़याल - VII

ये इश्क़ नहीं आसान, बस इतना समझ लीजिये,

समझ आता नहीं हमको और उनको समझाना है


ये लफ्ज़ मेरे हैं, पर यूँ समझ लीजिये -

ज़ालिम है महफ़िल और किरदार भी निभाना है


एक मुसाफिर ने कहा - साथ में चल लीजिये,

कुछ नहीं मुक़द्दर, ये सफर ही ठिकाना है


मान कैसे लें? सबूत कुछ तोह दीजिये,

तुमने ही कहा था बेईमान ये ज़माना है.


मुखबीरों का भी अब क्या यकीन कीजिये,

आज कल की बातों को कल फिर बदल जाना है


क्या हुआ, क्या नहीं, पूछ हमे भी लीजिये

फिर जो तुम्हे लगे ये वोही अफसाना है...


अल्फ़ाज़ों की गुस्ताखियां, दिल पे मत लीजिये,

बेरेहेम जज़्बातों ने बहोत आज़माना है


किसी और ने मंगवाए थे, लेकिन आप रख लीजिये -

फूल हैं परेशान के गुलिस्तां बनाना है


अधूरा है सुरूर साक़ी, कुछ तोह सबर कीजिये,

आये हो अभी और अभी चले जाना है...


हम फिर मान लेंगे, ज़रा तक़ल्लुफ़ तोह कीजिये

तुम कल भी गए थे और आज फिर चले जाना है


सजा--इश्क़ है हुकुम, अब तो रेहेम कीजिये -

हर रोज़ तुम्हे क्यों मुक़दम्मा चलाना है?


इन हसरतों का दामन थाम कर तोह देखिये,

क्या खोया, क्या पाया, फिर मुश्किल बताना है


मुक़म्मल नहीं मंज़िल, कुछ वक़्त और दीजिये

ज़िन्दगी ने अभी बहोत कुछ सिखाना है


एक सबक सही ज़िंदगानी, अफ़सोस मत कीजिये

क्या होगी कहानी ये तुमने बताना है...


एक याद ही सही, कुछ आप भी रख लीजिये

आज हम हैं, कल किसी और ने सुनाना है


कुछ सही है या गलत, ये अब आप तय कीजिये

हमने केह दिया वो जो सबको बताना है...

Sunday, 14 February 2021

ख़याल - VI

एक फितरत थी ये कभी,
जो ज़रुरत बनती जा रही है।
देखने हैं सपने मगर -
नींद कहाँ  रही है।
अब मेरी ही तरह ये कलम भी,
शायद यूँ ही चले जा रही है।
ये cigarette जलती जा रही है।
 
कुछ ख़ास है ये मेहफिल,
आज वो भी मुस्कुरा रही है।
हर सवाल के जवाब में,
दो और पूछे जा रही है। 
सही-गलतसच-झूठ,
ये तेरे मेरे होंगे मायने। 
वो लड़की है वो तो बस,
बातें बता रही है।
जो भूल गया वो याद,
आज फिर याद  रही है,
ये cigarette जलती जा रही है।
 
कुछ सुधर रहे थे हम,
वो जब एक शाम लेकर आये। 
हम भी बिगड़ गए क्योंकि,
लफ़्ज़ों पे नाम लेकर आये। 
यूँ तो समझ गए थे वो,
की कुछ संभल गए हैं हम।
इसीलिए फिर भी शायद -
हाथों में जाम लेकर आये। 
अब हर कश से ये तलब,
कुछ और बढ़ती जा रही है,
ये cigarette जलती जा रही है।
 
खुद उनको था जो सुनना,
वो अनजानों ने ही पूछा। 
कुछ हमको भी था कहना,
वो यारों ने ही पूछा।
बातों की इन बातों में,
एक मसला था सुलझाना। 
तो पहले हमने तुमसे,
फिर बांकी सब से पूछा। 
तुमने कहा कुछ और,
दुनिया कुछ और बता रही है,
ये cigarette जलती जा रही है।
 
क़ुबूल हुआ ज़माने को,
वो सब पाक़ कर दिया।
जो मंज़ूर  हो सका,
उसको नक़ाब कर दिया।
हसरत--फिरदौस का जूनून,
कहीं मोक्ष की तमन्ना -
किसी ने दफ़न कर दिए अपने,
किसी ने राख़ कर दिया।
क्या करेंक्या ना करें?
कश्मकश बढ़ती जा रही है,
ये cigarette जलती जा रही है...